कब सुनी तुम ने रागनी मेरी

कब सुनी तुम ने रागनी मेरी

गुफ़्तनी है ये ख़ामुशी मेरी

एक आहट से जागती हूँ मैं

एक दस्तक है ज़िंदगी मेरी

अब्र-ए-ज़ुल्मत किसे डराता है

और फैलेगी चाँदनी मेरी

कौन ठहरेगा देखना ये है

दौर-ए-मीना या तिश्नगी मेरी

आह आया ही था वो सपने में

दफ़अ'तन आँख खुल गई मेरी

वज्ह-ए-बेचैनी क्या बताऊँ मैं

चैन तेरा है बे-कली मेरी

तुझ पे गुज़रे न आलम-ए-वहशत

तू न देखे ये बेबसी मेरी

इस ने रक्खा जो सामने साग़र

बढ़ गई और तिश्नगी मेरी

मैं तो साए से अपने कतराऊँ

देख ख़ुद से ये कज-रवी मेरी

तुम फ़रोज़ाँ हो इक सितारे से

मेरे अंदर है रौशनी मेरी

तुझ को देखूँ या कुछ नहीं देखूँ

तेरी ख़्वाहिश है दीदनी मेरी

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In Hindi By Famous Poet Shaista Sahar. is written by Shaista Sahar. Complete Poem in Hindi by Shaista Sahar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.