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शब-ए-तन्हाई - शाइस्ता मुफ़्ती कविता - Darsaal

शब-ए-तन्हाई

साँस रोके हुए इस शहर से गुज़री है हवा

कुछ तो कहती है फ़ज़ा रात के दीवानों से

ख़ाली सड़कों पे बहुत शोर है सन्नाटे का

गीत लिक्खे हैं ख़मोशी की मधुर तानों से

मेरे अहबाब मुझे कहते हैं ऐ जान-ए-अज़ीज़

तू यहाँ तन्हा अँधेरों से उलझता क्या है

शहर में सफ़ सी बिछी है बुझे अँगारों पर

तू फ़क़त राख के अम्बार को तकता क्या है

आओ हम मिल के मनाएँ शब-ए-ख़ामोशी को

बुझ गया दिल तो हुआ क्या अभी बीनाई है

ख़ाली नज़रों से तकें टूटे हुए तारों को

अपने ख़्वाबों पे पशेमाँ शब-ए-तन्हाई है

साँस रोके हुए इस शहर से गुज़री है हवा

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In Hindi By Famous Poet Shaista Mufti. is written by Shaista Mufti. Complete Poem in Hindi by Shaista Mufti. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.