Ghazals of Shaista Mufti
नाम | शाइस्ता मुफ़्ती |
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अंग्रेज़ी नाम | Shaista Mufti |
शाम आ कर झरोकों में बैठी रहे
लिखे हुए अल्फ़ाज़ में तासीर नहीं है
ख़ाक से उठना ख़ाक में सोना ख़ाक को बंदा भूल गया
अजनबी शहर में उल्फ़त की नज़र को तरसे
आइना देखा तो सूरत अपनी पहचानी गई