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इश्क़ के शहर की कुछ आब-ओ-हवा और ही है - शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम कविता - Darsaal

इश्क़ के शहर की कुछ आब-ओ-हवा और ही है

इश्क़ के शहर की कुछ आब-ओ-हवा और ही है

उस के सहरा को जो देखा तो फ़ज़ा और ही है

तुझ से कुछ काम नहीं दूर हो आगे से नसीम

वा करे ग़ुंचा-ए-दिल को वो सबा और ही है

नब्ज़ पर मेरी अबस हाथ तू रखता है तबीब

ये मरज़ और है और इस की दवा और ही है

गुल तो गुलशन में हज़ारों नज़र आए लेकिन

उस के चेहरे को जो देखा तो सफ़ा और ही है

ज़ाहिदो विर्द-वज़ाइफ़ से नहीं हासिल-ए-कार

जिस को हो हुस्न-ए-इजाबत वो दुआ और ही है

ऐ जरस हरज़ा-दिरा हो न तू इतना चुप रह

पहुँचे पस-माँदा ब-मंज़िल वो सदा और ही है

मोहतसिब हम से अबस कीना रखे है 'हातिम'

जो नशा हम ने पिया है वो नशा और ही है

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In Hindi By Famous Poet Shaikh Zahuruddin Hatim. is written by Shaikh Zahuruddin Hatim. Complete Poem in Hindi by Shaikh Zahuruddin Hatim. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.