हस्ती की क़ैद से ऐ दिल आज़ाद होइए
सहरा में जा के ख़ूब सा हँस हँस के रोइए
दोनों जहाँ का शादी ओ ग़म दिल से भूल कर
पाँव दराज़ कर के फ़राग़त से सोइए
ऐ चश्म अज़-बराए-ख़ुदा गर मदद करे
आमाल-नामा अपना तो रो रो के धोइए
'हातिम' किसी से अपनी मुसीबत को तू न कह
क्या फ़ाएदा जो अपना भरम मुफ़्त खोइए