एहसान तिरा दिल मिरा क्या याद करेगा
एहसान तिरा दिल मिरा क्या याद करेगा
जो ख़ाक को उस की न तू बर्बाद करेगा
नय हसरत-ए-गुल-गश्त न परवाज़ की ताक़त
सदक़े में तिरे क्या मुझे आज़ाद करेगा
मौजूद हूँ हाज़िर हूँ मैं राज़ी हूँ मैं ख़ुश हूँ
सर पर मिरे जो कुछ कि वो जल्लाद करेगा
जुज़ ग़म के न हासिल हुआ सोहबत में किसू की
इस दिल को इलाही कोई भी शाद करेगा
सौदा न गया उस का तबीबों की दवा से
तो आ के इलाज अब कोई फ़स्साद करेगा
जो इस में भी चंगा न हुआ तो कोई दिन में
जा ख़ाना-ए-ज़ंजीर को आबाद करेगा
उस की जो कमर होवे तो खींचे कोई 'हातिम'
क्या अपना सर आ कर यहाँ बहज़ाद करेगा
(434) Peoples Rate This