दिल मिरा आज यार में है गा
किस ख़िज़ाँ में बहार में है गा
गालियाँ मुझ को दे है देने दो
कुछ न बोलो ख़ुमार में है गा
सुन के कहने लगा तू जाने है
कि नशे के उतार में है गा
गालियाँ मैं तो सब को देता हूँ
एक तो किस शुमार में है गा
'हातिम' ऐसी कहाँ है लज़्ज़त-ए-वस्ल
जो मज़ा इंतिज़ार में है गा