शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम (page 8)
नाम | शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम |
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अंग्रेज़ी नाम | Shaikh Zahuruddin Hatim |
जन्म की तारीख | 1699 |
मौत की तिथि | 1783 |
जन्म स्थान | Delhi |
चला जा मोहतसिब मस्जिद में 'हातिम' से न बहसा कर
बुल-हवस गो करें तेरे लब-ए-शीरीं पर हुजूम
बाज़ार से आए हाथ ख़ाली
ब-तंग आया हूँ इस जाहिल के हाथों इस क़दर 'हातिम'
बस नहीं चलता जो उस दम उन के ऊपर गर पड़े
बैत-बहसी न कर ऐ फ़ाख़्ता गुलशन में कि आज
बदन पर कुछ मिरे ज़ाहिर नहीं और दिल में सोज़िश है
अज़ल से दिल है सज्दा में तिरे अबरू के मस्जिद में
असीरों का नहीं कुछ शोर-ओ-ग़ुल ये आज ज़िंदाँ में
अनल-हक़ की हक़ीक़त को जो हो मंसूर सो जाने
ऐसी हवा बही कि है चारों तरफ़ फ़साद
ऐसा करूँगा अब के गरेबाँ को तार तार
ऐ मुसलमानो बड़ा काफ़िर है वो
ऐ ख़िज़ाँ भाग जा चमन से शिताब
ऐ ख़िरद-मंदो मुबारक हो तुम्हें फ़र्ज़ानगी
अहल-ए-म'अनी जुज़ न बूझेगा कोई इस रम्ज़ को
अगर रोते न हम तो देखते तुम
अदल से कर सल्तनत ऐ दिल तू तन के मुल्क में
अदा-ओ-नाज़ ओ करिश्मा जफ़ा-ओ-जौर-ओ-सितम
अभी मस्जिद-नशीन-ए-तारुम-ए-अफ़्लाक हो जावे
आरिज़ से उस के ज़ुल्फ़ में क्यूँ-कर है रौशनी
आज हमें और ही नज़र आता है कुछ सोहबत का रंग
आई ईद व दिल में नहीं कुछ हवा-ए-ईद
आगे क्या तुम सा जहाँ में कोई महबूब न था
आब-ए-हयात जा के किसू ने पिया तो क्या
आ कर तिरी गली में क़दम-बोसी के लिए
ज़ोर यारो आज हम ने फ़तह की जंग-ए-फ़लक
यार निकला है आफ़्ताब की तरह
वहशत से हर सुख़न मिरा गोया ग़ज़ाला है
तुर्फ़ा माजून है हमारा यार