दोस्तो दिल कहीं ज़िन्हार न आने पाए
दोस्तो दिल कहीं ज़िन्हार न आने पाए
दिल के हाथों कोई आज़ार न आने पाए
कीजिए हुस्न-परस्ती मगर इस क़ैद के साथ
प्यारी सूरत पे ज़रा प्यार न आने पाए
ख़ाना-ए-यार घर आफ़त का है ऐ रहगीरो
जिस्म पर साया-ए-दीवार न आने पाए
ऐ जुनूँ तेरा ज़माने में रहे जब तक दौर
होश में आशिक़-ए-सरशार न आने पाए
आप पर उ'क़्दा-ए-नाज़ुक-कमरी खुल जाता
ता-कमर गेसू-ए-ख़मदार न आने पाए
चश्म-ए-महबूब से नर्गिस को बराबर न करो
पास बीमार के बीमार न आने पाए
'बहर' कुछ ग़म न करो दिल के जुदा होने का
अब बग़ल में ये बद-अतवार न आने पाए
(867) Peoples Rate This