Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_1f8a77618744f08135fef0732213debb, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
आतिश-ए-बाग़ ऐसी भड़की है कि जलती है हवा - इमदाद अली बहर कविता - Darsaal

आतिश-ए-बाग़ ऐसी भड़की है कि जलती है हवा

आतिश-ए-बाग़ ऐसी भड़की है कि जलती है हवा

कूचा-ए-गुल से धुआँ हो कर निकलती है हवा

गिर्या-ए-उश्शाक़ से कीचड़ है ऐसे जा-ब-जा

थाम कर दीवार-ओ-दर गलियों में चलती है हवा

गुलशन-ए-आलम की नैरंगी से होता है यक़ीं

फिर शगूफ़ा फूलता है फिर बदलती है हवा

देखिए जा कर ज़रा कैफ़िय्यत-ए-जोश-ए-बहार

झूमते हैं पेड़ गिर गिर कर सँभलती है हवा

ना-रसाई देखना उड़ता है जब मेरा ग़ुबार

यार के कोठे की कानिस से फिसलती है हवा

गर्मियों में सैर गुलज़ारों की भाती है मुझे

हर क़दम पर पंखिया फूलों की झलती है हवा

'बहर' पंखा हाथ से रख दो निहायत ज़ार हूँ

मौज-ए-दरिया की तरह मुझ को कुचलती है हवा

(893) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Aatish-e-bagh Aisi BhaDki Hai Ki Jalti Hai Hawa In Hindi By Famous Poet Imdad Ali Bahr. Aatish-e-bagh Aisi BhaDki Hai Ki Jalti Hai Hawa is written by Imdad Ali Bahr. Complete Poem Aatish-e-bagh Aisi BhaDki Hai Ki Jalti Hai Hawa in Hindi by Imdad Ali Bahr. Download free Aatish-e-bagh Aisi BhaDki Hai Ki Jalti Hai Hawa Poem for Youth in PDF. Aatish-e-bagh Aisi BhaDki Hai Ki Jalti Hai Hawa is a Poem on Inspiration for young students. Share Aatish-e-bagh Aisi BhaDki Hai Ki Jalti Hai Hawa with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.