जान आँखों में रही जी से गुज़रने न दिया

जान आँखों में रही जी से गुज़रने न दिया

अच्छी दीदार की हसरत थी कि मरने न दिया

क्या क़यामत है सितमगार भरी महफ़िल में

दिल चुरा कर तिरी दुज़्दीदा नज़र ने न दिया

मुद्दतों कश्मकश-ए-यास-ओ-तमन्ना में रहे

ग़म ने जीने न दिया शौक़ ने मरने न दिया

नाख़ुदा ने मुझे दलदल में फँसाए रक्खा

डूब मरने न दिया पार उतरने न दिया

कोई तो बात है जो ग़ैर के आगे उस ने

शिकवा कैसा कि मुझे शुक्र भी करने न दिया

ख़ाक आराम की ख़्वाहिश हो वतन से बाहर

जब हमें चैन 'तपिश' अपने ही घर ने न दिया

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In Hindi By Famous Poet Shaikh Abdul Lateef Tapish. is written by Shaikh Abdul Lateef Tapish. Complete Poem in Hindi by Shaikh Abdul Lateef Tapish. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.