आज़ादी-ए-आलम के परस्तार हैं हम
अहरार जिन्हें कहिए वो अहरार हैं हम
नापाक लुटेरो ये तुम्हें याद रहे
जाँ-बाज़ हैं बेबाक हैं जर्रार हैं हम
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Habib Jalib
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1035) Peoples Rate This
अपने ज़ौक़-ए-दीद को अब कारगर पाता हूँ मैं
ललकार
हमारा अक़ीदा
ये दौर