हम अम्न में रखते हैं यक़ीन-ए-कामिल
है अम्न-ए-जहाँगीर हमारी मंज़िल
लेकिन कोई ग़ासिब जो बढ़े सरहद पर
'शैदा' उसे कर देंगे जहन्नम वासिल
Allama Iqbal
Gulzar
Habib Jalib
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Anwar Masood
Javed Akhtar
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
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Sharabi Poetry
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हमारा अक़ीदा
अपने ज़ौक़-ए-दीद को अब कारगर पाता हूँ मैं
ये दौर
ललकार