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मिरे रोग का न मलाल कर मिरे चारा-गर - शहज़ाद नय्यर कविता - Darsaal

मिरे रोग का न मलाल कर मिरे चारा-गर

मिरे रोग का न मलाल कर मिरे चारा-गर

मैं बड़ा हुआ उसे पाल कर मिरे चारा-गर

सभी दर्द चुन मिरे जिस्म से किसी इस्म से

मिरा अंग अंग बहाल कर मिरे चारा-गर

मुझे सी दे सोज़न-ए-दर्द रिश्ता-ए-ज़र्द से

मुझे ज़ब्त-ए-ग़म से बहाल कर मिरे चारा-गर

मुझे चीर नश्तर-ए-इश्क़ सोज़-ए-सरिश्क से

मिरा इंदिमाल-ए-मुहाल कर मिरे चारा-गर

ये बदन के आरज़ी घाव हैं उन्हें छोड़ दे

मिरे ज़ख़्म-ए-दिल का ख़याल कर मिरे चारा-गर

फ़क़त एक क़तरा-ए-अश्क मेरा इलाज है

मुझे मुब्तला-ए-मलाल कर मिरे चारा-गर

में जहान दर्द में खो गया तुझे क्या मिला

मुझे इम्तिहान में डाल कर मिरे चारा-गर

मुझे अपने ज़ख़्म की ख़ुद भी कोई ख़बर नहीं

सो न मुझ से कोई सवाल कर मिरे चारा-गर

तिरा हाल देख के रोएगा तिरा चारा-गर

मिरा दिल न देख निकाल कर मिरे चारा-गर

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In Hindi By Famous Poet Shahzad Nayar. is written by Shahzad Nayar. Complete Poem in Hindi by Shahzad Nayar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.