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सहर ने साँस ली सूरज चमकने वाला था - शहज़ाद हुसैन साइल कविता - Darsaal

सहर ने साँस ली सूरज चमकने वाला था

सहर ने साँस ली सूरज चमकने वाला था

दिया हवाओं की ज़द में था बुझने वाला था

ख़बर मिली कि मिरे वास्ते तू सहरा है

मैं तेरी याद के दरिया में बहने वाला था

दरख़्त घोंसले खाने लगे परिंदों के

मैं डर रहा था शजर पे जो रहने वाला था

मिरी तरह का कोई भी नहीं था बस्ती में

ब-क़ौल याराँ मैं जंगल में रहने वाला था

शब-ए-सियाह गुज़रते ही चाँद कहने लगा

अगर ये अब भी न कटती मैं जलने वाला था

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In Hindi By Famous Poet Shahzad Husain Saail. is written by Shahzad Husain Saail. Complete Poem in Hindi by Shahzad Husain Saail. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.