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रात के वक़्त कोई गीत सुनाती है हवा - शहज़ाद अंजुम बुरहानी कविता - Darsaal

रात के वक़्त कोई गीत सुनाती है हवा

रात के वक़्त कोई गीत सुनाती है हवा

शाख़-दर-शाख़ भला किस को बुलाती है हवा

सर्द रात अपनी नहीं कटती कभी तेरे बग़ैर

ऐसे मौसम में तो और आग लगाती है हवा

एक मानूस सी ख़ुशबू से महकती है फ़ज़ा

जब तू आता है बहुत शोर मचाती है हवा

किन गुज़रगाहों के हैं गर्द-ओ-ग़ुबार आँखों में

रोज़ पतझड़ के हमें ख़्वाब दिखाती है हवा

ज़िंदगी जलता हुआ एक दिया है 'अंजुम'

देखना ये है कहाँ जा के बुझाती है हवा

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In Hindi By Famous Poet Shahzad Anjum Burhani. is written by Shahzad Anjum Burhani. Complete Poem in Hindi by Shahzad Anjum Burhani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.