न पूछ मेरी कहानी कहाँ से निकली है

न पूछ मेरी कहानी कहाँ से निकली है

ये दास्ताँ भी तिरी दास्ताँ से निकली है

जिगर को चीर लिया शौक़ में चटानों ने

सदा-ए-इश्क़ जब आब-ए-रवाँ से निकली है

सभी पे ख़ौफ़ मुसल्लत था ना-ख़ुदाओं का

जो बात हक़ थी हमारी ज़बाँ से निकली है

छुआ है तुझ को तो मेरा सुलग उठा है बदन

ये कैसी आँच तिरे जिस्म-ओ-जाँ से निकली है

फ़लक के सारे नज़ारे हुए हैं हल्क़ा-ब-गोश

बरात किस की दर-ए-कहकशाँ से निकली है

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In Hindi By Famous Poet Shahzad Anjum Burhani. is written by Shahzad Anjum Burhani. Complete Poem in Hindi by Shahzad Anjum Burhani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.