ये भी सच है कि नहीं है कोई रिश्ता तुझ से
जितनी उम्मीदें हैं वाबस्ता हैं तन्हा तुझ से
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Allama Iqbal
Gulzar
Anwar Masood
Jaun Eliya
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(659) Peoples Rate This
शायद लोग इसी रौनक़ को गर्मी-ए-महफ़िल कहते हैं
तुझ में कस-बल है तो दुनिया को बहा कर ले जा
गुज़र ही जाएगी 'शहज़ाद' जो गुज़रनी है
सीने में बे-क़रार हैं मुर्दा मोहब्बतें
आगे निकल गए वो मुझे देखते हुए
आँख उठा के मेरी सम्त अहल-ए-नज़र न देख पाए
डूब जाता है दमकता हुआ सूरज लेकिन
जुलते हैं इक चराग़ की लौ से कई चराग़
हम अपने हाल पर ख़ुद रो दिए हैं
जिस ने तिरी आँखों में शरारत नहीं देखी
रुख़्सत हुआ तो आँख मिला कर नहीं गया
शक अपनी ही ज़ात पे होने लगता है