ये किस के आने के इम्काँ दिखाई देते हैं
ये किस के आने के इम्काँ दिखाई देते हैं
दिल ओ निगाह ग़ज़ल-ख़्वाँ दिखाई देते हैं
वो अहल-ए-दिल जो तिरे आसरे पे जीते थे
रहीन-ए-गर्दिश-ए-दौराँ दिखाई देते हैं
हमें तो आज भी ग़म-हा-ए-दो-जहाँ हैं अज़ीज़
वो और हैं जो गुरेज़ाँ दिखाई देते हैं
इक आग फिर भड़क उट्ठी है दीदा ओ दिल में
कुछ अश्क फिर सर-ए-मिज़्गाँ दिखाई देते हैं
ये किस के जल्वा-ए-रंगीं का अक्स है 'शहज़ाद'
दिल ओ निगाह फ़िरोज़ाँ दिखाई देते हैं
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