थोड़ा सा रंग रात के चेहरे पे डाल दो
थोड़ा सा रंग रात के चेहरे पे डाल दो
क्या सोचते हो जाम हवा में उछाल दो
समझेगा कौन रूह की गहराइयों के राज़
पूछे कोई तो बातों ही बातों में टाल दो
सूरज है और प्यास के मारे हुए हैं लोग
सारी ख़ुदाई बर्फ़ के पानी में डाल दो
ज़िंदाँ में किस लिए मुझे करते हो तुम असीर
दीवाना हूँ तो शहर से बाहर निकाल दो
साए के पीछे भागते फिरने से फ़ाएदा
हर आरज़ू को जिस्म के पैकर में ढाल दो
वैसे ये तीरगी भी बुरी चीज़ तो नहीं
लेकिन कभी तो आ के दिलों को उजाल दो
'शहज़ाद' दोस्ती में भला क्या मिला तुम्हें
हो अहल-ए-दिल तो दिल का जनाज़ा निकाल दो
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