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हम लोगों को अपने दिल के राज़ बताते रहते हैं - शहज़ाद अहमद कविता - Darsaal

हम लोगों को अपने दिल के राज़ बताते रहते हैं

हम लोगों को अपने दिल के राज़ बताते रहते हैं

लोग हमारी बातें सुन कर हँसते हँसाते रहते हैं

जिन लम्हों ने लूट लिया था मेरे दिल की दुनिया को

अक्सर मेरी महफ़िल-ए-ग़म में आते जाते रहते हैं

दुनिया वालों की बातों से उन का जी क्यूँ जलता है

दुनिया तो दीवानी है वो क्यूँ घबराते रहते हैं

हम को ग़म-ए-दौराँ भी नहीं है और ग़म-ए-जानाँ भी नहीं

जाने फिर क्यूँ बात बात पर अश्क बहाते रहते हैं

हम राही हम दीवाने आदाब-ए-सफ़र को क्या जानें

हर मंज़िल हर राहगुज़र में ख़ाक उड़ाते रहते हैं

मुझ को हर इक अफ़्साने में अपना अक्स नज़र आए

लोग मुझे ही मेरे ग़म का हाल सुनाते रहते हैं

वो दीवाना बात बात पर रात रात भर रोता है

गरचे हम 'शहज़ाद' को ख़ल्वत में समझाते रहते हैं

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In Hindi By Famous Poet Shahzad Ahmad. is written by Shahzad Ahmad. Complete Poem in Hindi by Shahzad Ahmad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.