हम लोगों को अपने दिल के राज़ बताते रहते हैं
हम लोगों को अपने दिल के राज़ बताते रहते हैं
लोग हमारी बातें सुन कर हँसते हँसाते रहते हैं
जिन लम्हों ने लूट लिया था मेरे दिल की दुनिया को
अक्सर मेरी महफ़िल-ए-ग़म में आते जाते रहते हैं
दुनिया वालों की बातों से उन का जी क्यूँ जलता है
दुनिया तो दीवानी है वो क्यूँ घबराते रहते हैं
हम को ग़म-ए-दौराँ भी नहीं है और ग़म-ए-जानाँ भी नहीं
जाने फिर क्यूँ बात बात पर अश्क बहाते रहते हैं
हम राही हम दीवाने आदाब-ए-सफ़र को क्या जानें
हर मंज़िल हर राहगुज़र में ख़ाक उड़ाते रहते हैं
मुझ को हर इक अफ़्साने में अपना अक्स नज़र आए
लोग मुझे ही मेरे ग़म का हाल सुनाते रहते हैं
वो दीवाना बात बात पर रात रात भर रोता है
गरचे हम 'शहज़ाद' को ख़ल्वत में समझाते रहते हैं
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