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अगरचे कार-ए-दुनिया कुछ नहीं है - शहज़ाद अहमद कविता - Darsaal

अगरचे कार-ए-दुनिया कुछ नहीं है

अगरचे कार-ए-दुनिया कुछ नहीं है

मगर इस के अलावा कुछ नहीं है

अगर धरती पे बादल ही न बरसें

तो ये दरिया अकेला कुछ नहीं है

बहुत नाराज़ हैं इक दूसरे से

मगर दोनों में झगड़ा कुछ नहीं है

ये जो कुछ हो रहा है शहर भर में

तमाशा है तमाशा कुछ नहीं है

ये मैं हूँ जो बदल जाता हूँ हर रोज़

ज़माने में बदलता कुछ नहीं है

अगर झोली न फैलाई गई हो

तो वो बेदर्द देता कुछ नहीं है

ये दुनिया है यूँही चलती रहेगी

मिरे होने से होना कुछ नहीं है

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In Hindi By Famous Poet Shahzad Ahmad. is written by Shahzad Ahmad. Complete Poem in Hindi by Shahzad Ahmad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.