शहज़ाद अहमद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शहज़ाद अहमद (page 10)
नाम | शहज़ाद अहमद |
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अंग्रेज़ी नाम | Shahzad Ahmad |
जन्म की तारीख | 1932 |
मौत की तिथि | 2012 |
जन्म स्थान | Lahore |
फ़स्ल-ए-गुल ख़ाक हुई जब तो सदा दी तू ने
डूब जाएँगे सितारे और बिखर जाएगी रात
दिल-ए-फ़सुर्दा उसे क्यूँ गले लगा न लिया
दिल से ये कह रहा हूँ ज़रा और देख ले
दिल ओ नज़र पे तिरे बाद क्या नहीं गुज़रा
दिल ओ दिमाग़ में एहसास-ए-ग़म उभार दिया
दिल का बुरा नहीं मगर शख़्स अजीब ढब का है
दिल बहुत मसरूफ़ था कल आज बे-कारों में है
देखने उस को कोई मेरे सिवा क्यूँ आए
देख अब अपने हयूले को फ़ना होते हुए
दरिया कभी इक हाल में बहता न रहेगा
चुप के आलम में वो तस्वीर सी सूरत उस की
चराग़ ख़ुद ही बुझाया बुझा के छोड़ दिया
चमक चमक के सितारो मुझे फ़रेब न दो
बिखरे हुए तारों से मिरी रात भरी है
भटकती हैं ज़माने में हवाएँ
बे-ताबी-ए-ग़म-हा-ए-दरूँ कम नहीं होगी
बाग़-ए-बहिश्त के मकीं कहते हैं मर्हबा मुझे
बाग़ का बाग़ उजड़ गया कोई कहो पुकार कर
अस्ल में हूँ मैं मुजरिम मैं ने क्यूँ शिकायत की
अक़्ल हर बात पे हैराँ है इसे क्या कहिए
अपनी तस्वीर को आँखों से लगाता क्या है
अगरचे कार-ए-दुनिया कुछ नहीं है
अब निभानी ही पड़ेगी दोस्ती जैसी भी है
अब न वो शोर न वो शोर मचाने वाले
आती है दम-ब-दम ये सदा जागते रहो
आप भी नहीं आए नींद भी नहीं आई
आज तक उस की मोहब्बत का नशा तारी है