शहज़ाद अहमद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शहज़ाद अहमद
नाम | शहज़ाद अहमद |
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अंग्रेज़ी नाम | Shahzad Ahmad |
जन्म की तारीख | 1932 |
मौत की तिथि | 2012 |
जन्म स्थान | Lahore |
ज़रा सा ग़म हुआ और रो दिए हम
ज़रा लबों के तबस्सुम से बज़्म गर्माएँ
ज़मीन नाव मिरी बादबाँ मिरे अफ़्लाक
ज़बानें थक चुकीं पत्थर हुए कान
यूँ तो हम अहल-ए-नज़र हैं मगर अंजाम ये है
यूँ तिरी याद में दिन रात मगन रहता हूँ
यूँ तर्क-ए-तअल्लुक़ की क़सम खाए हुए हों
यूँ किस तरह बताऊँ कि क्या मेरे पास है
ये समझ के माना है सच तुम्हारी बातों को
ये चाँद ही तिरी झोली में आ पड़े शायद
ये भी सच है कि नहीं है कोई रिश्ता तुझ से
ये और बात इसे ज़िंदगी न कह पाएँ
ये अलग बात ज़बाँ साथ न दे पाएगी
यार होते तो मुझे मुँह पे बुरा कह देते
वो मुझे प्यार से देखे भी तो फिर क्या होगा
वो मिरी सुब्हों का तारा वो मिरी रातों का चाँद
वो कोई और है जिस ने तुझे चाहा होगा
वो ख़ुश-नसीब थे जिन्हें अपनी ख़बर न थी
वो कौन है उसे सूरज कहूँ कि रंग कहूँ
वाक़िआ ये है कि रस्ता और वीराँ हो गया
वाक़िआ कुछ भी हो सच कहने में रुस्वाई है
वीरान तो नहीं शब-ए-तारीक की फ़ज़ा
उट्ठी हैं मेरी ख़ाक से आफ़ात सब की सब
उस को ख़बर हुई तो बदल जाएगा वो रंग
उम्र जितनी भी कटी उस के भरोसे पे कटी
उम्र भर सुनता रहूँ अपनी सदा की बाज़गश्त
उम्र भर अपने गिरेबाँ से उलझने वाले
उड़ते हुए आते हैं अभी संग-ए-तमन्ना
उदास छोड़ गए कश्तियों को साहिल पर
तुम्हारी बज़्म से भी उठ चले हैं दीवाने