ज़ख़्मों को रफ़ू कर लें दिल शाद करें फिर से
ख़्वाबों की कोई दुनिया आबाद करें फिर से
Rahat Indori
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आख़िरी साँस
मिरे सूरज आ! मिरे जिस्म पे अपना साया कर
ये जब है कि इक ख़्वाब से रिश्ता है हमारा
सारी दुनिया के मसाइल यूँ मुझे दरपेश हैं
एक लम्हे से दूसरे लम्हे तक
जम्अ करते रहे जो अपने को ज़र्रा ज़र्रा
जब भी मिलती है मुझे अजनबी लगती क्यूँ है
कितनी तब्दील हुइ किस लिए तब्दील हुइ
नया अमृत
भूली-बिसरी यादों की बारात नहीं आई
आरज़ू
जो होने वाला है अब उस की फ़िक्र क्या कीजे