ये जब है कि इक ख़्वाब से रिश्ता है हमारा
दिन ढलते ही दिल डूबने लगता है हमारा
Wasi Shah
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Parveen Shakir
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(590) Peoples Rate This
दिल परेशाँ हो मगर आँख में हैरानी न हो
नज़र जो कोई भी तुझ सा हसीं नहीं आता
फ़ज़ा-ए-मय-कदा बे-रंग लग रही है मुझे
कहाँ तक वक़्त के दरिया को हम ठहरा हुआ देखें
देख दरिया को कि तुग़्यानी में है
वक़्त को क्यूँ भला बुरा कहिए
अब के बरस
पहले नहाई ओस में फिर आँसुओं में रात
ज़वाल की हद
उम्मीद से कम चश्म-ए-ख़रीदार में आए
आख़िरी साँस
ये क्या है मोहब्बत में तो ऐसा नहीं होता