उम्र का लम्बा हिस्सा कर के दानाई के नाम
हम भी अब ये सोच रहे हैं पागल हो जाएँ
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Habib Jalib
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(613) Peoples Rate This
शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को
नज़र जो कोई भी तुझ सा हसीं नहीं आता
गुम-शुदा
अब तो ले दे के यही काम है इन आँखों का
तुझ से बिछड़े हैं तो अब किस से मिलाती है हमें
इक बूँद ज़हर के लिए फैला रहे हो हाथ
जान-बूझ कर समझ कर मैं ने भुला दिया
ज़बाँ मिली भी तो किस वक़्त बे-ज़बानों को
सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का
मेरी ज़मीं
क्या कोई नई बात नज़र आती है हम में
कितनी तब्दील हुइ किस लिए तब्दील हुइ