सभी को ग़म है समुंदर के ख़ुश्क होने का
कि खेल ख़त्म हुआ कश्तियाँ डुबोने का
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Anwar Masood
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
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तू कहाँ है तुझ से इक निस्बत थी मेरी ज़ात को
घर की तामीर तसव्वुर ही में हो सकती है
जान-बूझ कर समझ कर मैं ने भुला दिया
तिरा ख़याल भी तेरी तरह सितमगर है
ये जब है कि इक ख़्वाब से रिश्ता है हमारा
आँख की ये एक हसरत थी कि बस पूरी हुई
नशात-ए-ग़म भी मिला रंज-ए-शाद-मानी भी
वापसी
अहद-ए-हाज़िर की दिल-रुबा मख़्लूक़
ज़िंदगी जैसी तवक़्क़ो' थी नहीं कुछ कम है