न ख़ुश-गुमान हो इस पर तू ऐ दिल-ए-सादा
सभी को देख के वो शख़्स मुस्कुराता है
Gulzar
Allama Iqbal
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Wasi Shah
Javed Akhtar
Rahat Indori
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(414) Peoples Rate This
जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने
वो कौन था वो कहाँ का था क्या हुआ था उसे
दरिया-ए-ख़ूँ
भूली-बिसरी यादों की बारात नहीं आई
इन दिनों मैं भी हूँ कुछ कार-ए-जहाँ में मसरूफ़
अब के बरस
निकला है चाँद शब की पज़ीराई के लिए
कहाँ तक वक़्त के दरिया को हम ठहरा हुआ देखें
ग़म की दौलत बड़ी मुश्किल से मिला करती है
इक बूँद ज़हर के लिए फैला रहे हो हाथ
चुपके से इधर आ जाओ
एक नज़्म