मैं अकेला सही मगर कब तक
नंगी परछाइयों के बीच रहूँ
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हम ख़ुश हैं हमें धूप विरासत में मिली है
आँखों में तेरी देख रहा हूँ मैं अपनी शक्ल
पिछले सफ़र में जो कुछ बीता बीत गया यारो लेकिन
दिल चीज़ क्या है आप मिरी जान लीजिए
अजीब काम
एक नज़्म
ख़जिल चराग़ों से अहल-ए-वफ़ा को होना है
तन्हाई की ये कौन सी मंज़िल है रफ़ीक़ो
जुदा हुए वो लोग कि जिन को साथ में आना था
ला-ज़वाल सुकूत
कौन सी बात है जो उस में नहीं
बहुत शोर था जब समाअ'त गई