हम जुदा हो गए आग़ाज़-ए-सफ़र से पहले
जाने किस सम्त हमें राह-ए-वफ़ा ले जाती
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Gulzar
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आसमाँ कुछ भी नहीं अब तेरे करने के लिए
ख़्वाब
अजीब सानेहा मुझ पर गुज़र गया यारो
मोम के जिस्मों वाली इस मख़्लूक़ को रुस्वा मत करना
वो कौन था वो कहाँ का था क्या हुआ था उसे
अहद-ए-हाज़िर की दिल-रुबा मख़्लूक़
पहले नहाई ओस में फिर आँसुओं में रात
गुलाब टहनी से टूटा ज़मीन पर न गिरा
या तेरे अलावा भी किसी शय की तलब है
अजीब काम
पल भर में कैसे लोग बदल जाते हैं यहाँ
एक लम्हे से दूसरे लम्हे तक