है कोई जो बताए शब के मुसाफ़िरों को
कितना सफ़र हुआ है कितना सफ़र रहा है
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Parveen Shakir
Wasi Shah
Anwar Masood
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
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'नजमा' के लिए एक नज़्म
गर्दिश-ए-वक़्त का कितना बड़ा एहसाँ है कि आज
ज़बाँ मिली भी तो किस वक़्त बे-ज़बानों को
बिछड़े लोगों से मुलाक़ात कभी फिर होगी
जिस्म की कश्ती में आ
नया उफ़क़
तन्हाई की ये कौन सी मंज़िल है रफ़ीक़ो
पल भर में कैसे लोग बदल जाते हैं यहाँ
फ़रेब-दर-फ़रेब
रतजगों का ज़वाल
बे-नाम से इक ख़ौफ़ से दिल क्यूँ है परेशाँ
मेरी ज़मीं