देखने के लिए इक चेहरा बहुत होता है
आँख जब तक है तुझे सिर्फ़ तुझे देखूँगा
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ज़िंदगी जब भी तिरी बज़्म में लाती है हमें
आँधी की ज़द में शम-ए-तमन्ना जलाई जाए
खेल का नतीजा
सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का
ये क्या है मोहब्बत में तो ऐसा नहीं होता
आँख की ये एक हसरत थी कि बस पूरी हुई
तुझे भूल गया कभी याद नहीं करता तुझ को
वो बेवफ़ा है हमेशा ही दिल दुखाता है
जिस्म की कश्ती में आ
सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है
उम्र का लम्बा हिस्सा कर के दानाई के नाम
हवा का ज़ोर ही काफ़ी बहाना होता है