बहुत शोर था जब समाअ'त गई
बहुत भीड़ थी जब अकेले हुए
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Parveen Shakir
Anwar Masood
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(530) Peoples Rate This
नज़र जो कोई भी तुझ सा हसीं नहीं आता
ला-ज़वाल होने का
नहीं रोक सकोगे जिस्म की इन परवाजों को
मौत
तुझे भूल गया कभी याद नहीं करता तुझ को
मुझ को ले डूबा तिरा शहर में यकता होना
आरज़ू
वो बेवफ़ा है हमेशा ही दिल दुखाता है
वक़्त को क्यूँ भला बुरा कहिए
शम-ए-दिल शम-ए-तमन्ना न जला मान भी जा
वो कौन था वो कहाँ का था क्या हुआ था उसे
तन्हाई