ऐसे हिज्र के मौसम कब कब आते हैं
तेरे अलावा याद हमें सब आते हैं
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क्या कोई नई बात नज़र आती है हम में
जहाँ में होने को ऐ दोस्त यूँ तो सब होगा
चलो तुम को....
तुझे भूल गया कभी याद नहीं करता तुझ को
ये जब है कि इक ख़्वाब से रिश्ता है हमारा
ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है
किस किस तरह से मुझ को न रुस्वा किया गया
ये जगह अहल-ए-जुनूँ अब नहीं रहने वाली
वक़्त को क्यूँ भला बुरा कहिए
तिरा ख़याल भी तेरी तरह सितमगर है
नया खेल