आसमाँ कुछ भी नहीं अब तेरे करने के लिए
मैं ने सब तय्यारियाँ कर ली हैं मरने के लिए
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जागता हूँ मैं एक अकेला दुनिया सोती है
नए अहद का नया सवाल
बहुत शोर था जब समाअ'त गई
ये क़ाफ़िले यादों के कहीं खो गए होते
मैं अकेला सही मगर कब तक
तम्बीह
ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है
गुम-शुदा
ऐसे हिज्र के मौसम कब कब आते हैं
पहले सफ़्हे की पहली सुर्ख़ी
मौत
दिल में उतरेगी तो पूछेगी जुनूँ कितना है