वो जो आसमाँ पे सितारा है
उसे अपनी आँखों से देख लो
उसे अपने होंटों से चूम लो
उसे अपने हाथों से तोड़ लो
कि उसी पे हमला है रात का
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आसमाँ कुछ भी नहीं अब तेरे करने के लिए
तिलिस्म ख़त्म चलो आह-ए-बे-असर का हुआ
क्या कोई नई बात नज़र आती है हम में
उम्मीद से कम चश्म-ए-ख़रीदार में आए
गुलाब टहनी से टूटा ज़मीन पर न गिरा
ये जगह अहल-ए-जुनूँ अब नहीं रहने वाली
ये जब है कि इक ख़्वाब से रिश्ता है हमारा
बुनियाद-ए-जहाँ में कजी क्यूँ है
मुझ को मिलना है 'वहीद-अख़्तर' से
कारोबार-ए-शौक़ में बस फ़ाएदा इतना हुआ
लोग सर फोड़ कर भी देख चुके
दिल परेशाँ हो मगर आँख में हैरानी न हो