उबल उबल कर
दूध के सारे ताल-तलइयाँ
सूख गए हुमक हुमक कर
कुंदन सी लोरी के बोल भी रूठ गए
पेंगें लेते लेते
ख़ाली बाँहें
थक कर झूल गईं
कजलोटी में सारा काजल जाने कब का पिघल गया
किस मेले में ढूँडूँ उस को
मिला नहीं और बिछड़ गया
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Gulzar
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Habib Jalib
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नास्तल्जिया
ज़िंदगी में यूँ तो हर इक हादिसा नागाह था
गुलशन-ए-ना-आफ़रीदा
मुन्तज़िम
हुसैन! तोमी कोथाए
मान-सरोवर
मस्कन
निज़ाम-ए-शम्सी
ज़मीं थम गई है
अजीब ख़ौफ़ है जज़्बों की बे-लिबासी का
कोलाज़
इंसाफ़