याद के शहर मिरी जाँ से गुज़र

याद के शहर मिरी जाँ से गुज़र

क़ुर्ब के आख़िरी इम्काँ से गुज़र

जल बुझी थी मैं तिरे खिलने तक

अब मिरी ख़ाक-ए-परेशाँ से गुज़र

अक्स बुनने लगा सहरा तेरे

मेरे सूरज रुख़-ए-ताबाँ से गुज़र

ज़ख़्म गर मेरे हो कुछ और अता

हाँ अबस नश्तर ओ पैकाँ से गुज़र

उठ चुकीं गुल-सुख़नी की रस्में

गोश-ए-जाँ हर्फ़-ए-बहाराँ से गुज़र

आख़िरी लौ न बुझा जाए कहीं

शब-ए-जाँ में रुके मेहमाँ से गुज़र

ऐ मिरे अब्र मिरी मिट्टी की

तिश्नगी पर सर-ए-मिज़्गाँ से गुज़र

आँख अब तीरगी-ए-ग़म से बुझी

अश्क-ए-ख़ूँ जश्न-ए-चराग़ाँ से गुज़र

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In Hindi By Famous Poet Shahida Tabassum. is written by Shahida Tabassum. Complete Poem in Hindi by Shahida Tabassum. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.