Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_4df429c772563e758cf8d8b992cd1e66, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जंगलों में बारिशें हैं दूर तक - शाहिदा तबस्सुम कविता - Darsaal

जंगलों में बारिशें हैं दूर तक

जंगलों में बारिशें हैं दूर तक

जिस्म में फिर वहशतें हैं दूर तक

रास्तों में छुप गईं रातें कहीं

ख़्वाब-गह में आहटें हैं दूर तक

क़ुर्ब के लम्हों की हैराँ कोख में

कुछ बिछड़ती साअतें हैं दूर तक

वो कहीं गुम हो कहीं मिल जाऊँ मैं

धुँद जैसी चाहतें हैं दूर तक

घुल रही है जिस्म में तन्हा हवा

फुर्क़तों में फ़ुर्क़तें हैं दूर तक

ज़र्द पत्ते शाम फिर बिखरा गई

साँस लेती हिजरतें हैं दूर तक

डस गई है पेड़ को भीगी हवा

शाख़ पर नीलाहटें हैं दूर तक

ग़र्क़ होते शहर की जाँ से अलग

पानियों पर राहतें हैं दूर तक

कितनी बातें अन-कही सी रह गईं

नुत्क़-ए-जाँ में हैरतें हैं दूर तक

(441) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Shahida Tabassum. is written by Shahida Tabassum. Complete Poem in Hindi by Shahida Tabassum. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.