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एहसास तो मुझी पे कर रही है - शाहिदा हसन कविता - Darsaal

एहसास तो मुझी पे कर रही है

एहसास तो मुझी पे कर रही है

छूकर जो हवा गुज़र रही है

जिस ने मुझे शाख़ पर न चाहा

ख़ुशबू मिरी उस के घर रही है

बे-सम्ती-ए-अश्क की नदामत

इस बार भी हम-सफ़र रही है

ठहरा है वो जब से रहगुज़र में

मिट्टी मिरी रक़्स कर रही है

चुपके से घड़ी घड़ी मुसाफ़िरत की

दहलीज़ पे पाँव धर रही है

तारे भी नज़र न आएँ घर में

आँख ऐसी घड़ी से डर रही है

टूटा हुआ अक्स ले के लड़की

आईने में फिर सँवर रही है

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In Hindi By Famous Poet Shahida Hasan. is written by Shahida Hasan. Complete Poem in Hindi by Shahida Hasan. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.