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ज़िंदगी मेरी हुई है फिर निढाल - शाहिद नईम कविता - Darsaal

ज़िंदगी मेरी हुई है फिर निढाल

ज़िंदगी मेरी हुई है फिर निढाल

ये उमीद-ए-बे-सबाती का कमाल

जब चली ऐ ज़ीस्त मुस्तक़बिल की बात

बन गया हूँ आप ख़ुद अपना सवाल

शेर कह कर पास रख लेता हूँ मैं

फ़न की दुनिया में न हो फिर क़ील-ओ-क़ाल

पूछना क्या शहर-ए-संग-ओ-ख़िश्त से

रंग बदला है ज़माने की मिसाल

मैं कि हर शेर में 'शाहिद' नहीं

सिर्फ़ पेश-ए-लफ़्ज़ है मेरा ख़याल

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In Hindi By Famous Poet Shahid Naeem. is written by Shahid Naeem. Complete Poem in Hindi by Shahid Naeem. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.