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इक सब्ज़ रंग बाग़ दिखाया गया मुझे - शाहिद मीर कविता - Darsaal

इक सब्ज़ रंग बाग़ दिखाया गया मुझे

इक सब्ज़ रंग बाग़ दिखाया गया मुझे

फिर ख़ुश्क रास्तों पे चलाया गया मुझे

तय हो चुके थे आख़िरी साँसों के मरहले

जब मुज़्दा-ए-हयात सुनाया गया मुझे

पहले तो छीन ली मिरी आँखों की रौशनी

फिर आइने के सामने लाया गया मुझे

रक्खे थे उस ने सारे स्विच अपने हाथ में

बे-वक़्त ही जलाया बुझाया गया मुझे

चारों तरफ़ बिछी हैं अँधेरों की चादरें

शायद अभी फ़ुज़ूल जगाया गया मुझे

निकले हुए थे ढूँडने ख़ूँ-ख़्वार जानवर

काँटों की झाड़ियों में छुपाया गया मुझे

इक लम्हा मुस्कुराने की क़ीमत न पूछिए

बे-इख़्तियार पहले रुलाया गया मुझे

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In Hindi By Famous Poet Shahid Meer. is written by Shahid Meer. Complete Poem in Hindi by Shahid Meer. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.