Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_0d4af2e1b6827cae3439775d234e8fba, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
बाम-ओ-दर टूट गए बह गया पानी कितना - शाहिद माहुली कविता - Darsaal

बाम-ओ-दर टूट गए बह गया पानी कितना

बाम-ओ-दर टूट गए बह गया पानी कितना

और बर्बाद करेगी ये जवानी कितना

रंग कुम्हला दिया बालों में पिरो दी चाँदी

तूल खींचेगी अभी और कहानी कितना

ये तलातुम ये अना आबला-पाई ये जुनूँ

हम भी देखेंगे कि है जोश-ए-जवानी कितना

दरमियाँ आ गया इबहाम का इक कोह-ए-गिराँ

ढूँढते रह गए हम दश्त-ए-मआ'नी कितना

बर्फ़ की तरह जमे जाते हैं सारे अल्फ़ाज़

काम आएगी यहाँ सेहर-बयानी कितना

डूब कर साँसों में रग रग में समा कर देखो

मसअला दिल का सुलझना है ज़बानी कितना

बढ़ता जाएगा ये सैलाब-ए-हवादिस 'शाहिद'

रोक पाएगा कोई ज़ोर-ए-रवानी कितना

(545) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Shahid Mahuli. is written by Shahid Mahuli. Complete Poem in Hindi by Shahid Mahuli. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.