शाहिद लतीफ़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शाहिद लतीफ़
नाम | शाहिद लतीफ़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Shahid Latif |
शरीफ़ लोग कहाँ जाएँ क्या करें आख़िर
रात ही के दामन में चाँद भी हैं तारे भी
कोई लहजा कोई जुमला कोई चेहरा निकल आया
ज़मीं तश्कील दे लेते फ़लक ता'मीर कर लेते
ये जो रब्त रू-ब-ज़वाल है ये सवाल है
सह-पहर ही से कोई शक्ल बनाती है ये शाम
रोज़ खुलने की अदा भी तो नहीं आती है
लोग हैरान हैं हम क्यूँ ये किया करते हैं
कोई लहजा कोई जुमला कोई चेहरा निकल आया
एक इक मौज को सोने की क़बा देती है
इक अज़ाब होता है रोज़ जी का खोना भी
दूर सहरा में जहाँ धूप शजर रखती है
आज भी जिस की है उम्मीद वो कल आए हुए