सोचता है किस लिए तू मेरे यार दे मुझे
सोचता है किस लिए तू मेरे यार दे मुझे
थक चुका हूँ नफ़रतों से थोड़ा प्यार दे मुझे
कौन हूँ मुझे तो अपना नाम भी पता नहीं
कोई मेरा नाम ले के फिर पुकार दे मुझे
इन ख़िरद की हीला-साज़ियों से तू अमान दे
दफ़्तर-ए-जुनूँ में कोई कारोबार दे मुझे
आज अपने ही मुक़ाबले पे डट गया हूँ मैं
तेग़ कोई भेज कोई राहवार दे मुझे
इस अना की जंग में तू फ़त्ह-याब कर मुझे
ये शरफ़ भी आज मेरे शहसवार दे मुझे
कुछ ख़बर तो दे मिरे मुसाफ़िरों की ए सबा
कुछ निशान-ए-कूचा-हा-ए-बे-दयार दे मुझे
टूट कर बिखरता जा रहा हूँ इस तरह से मैं
काश कोई हाथ बढ़ के फिर सँवार दे मुझे
'शाहिद'-ए-नवा-ए-अस्र के सुख़न की क़द्र कर
लहजा-ए-सुकूत हर्फ़-ए-ए'तिबार दे मुझे
(615) Peoples Rate This