Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_4bb81a6454401d8d30ac153ddc9ad77f, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मक़्तल में चमकती हुई तलवार थे हम लोग - शाहिद कमाल कविता - Darsaal

मक़्तल में चमकती हुई तलवार थे हम लोग

मक़्तल में चमकती हुई तलवार थे हम लोग

जाँ नज़्र-गुज़ारी पे भी तय्यार थे हम लोग

हम अहल-ए-शरफ़ लोग थे इस शहर में लेकिन

रुस्वा भी सर-ए-कूचा-ओ-बाज़ार थे हम लोग

काम आते न थे हम को बस इक कार-ए-जुनूँ के

दुनिया की निगाहों में तो बेकार थे हम लोग

इस निस्बत-ए-हक़ में ये शरफ़ कम तो नहीं है

ज़िंदीक़ भी काफ़िर भी गुनहगार थे हम लोग

उस को भी तो कुछ हुस्न ने मग़रूर किया था

कुछ अपनी अना में भी गिरफ़्तार थे हम लोग

कुछ यादों ने उस की हमें नाशाद किया है

कुछ अपनी तबीअ'त से भी बेज़ार थे हम लोग

अब तू ने भी अपनाने से इंकार किया है

ए वहशत-ए-शब तेरे अज़ा-दार थे हम लोग

ए 'शाहिद'-ए-ख़ुश-बख़्त 'यगाना' से ये कह दो

कहते हैं कि 'ग़ालिब' के तरफ़-दार थे हम लोग

(584) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Shahid Kamal. is written by Shahid Kamal. Complete Poem in Hindi by Shahid Kamal. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.