तिरी थकी हुई आँखों में ख़्वाब था कि नहीं
तिरी थकी हुई आँखों में ख़्वाब था कि नहीं
मिरे सवाल का कोई जवाब था कि नहीं
उठा के सिर्फ़ बबूलों के ख़ार ले आए
चमन चमन कहीं ताज़ा गुलाब था कि नहीं
बड़े सुकूँ से रहे मोम के बदन वाले
तुम्हारा शहर तह-ए-आफ़्ताब था कि नहीं
हर एक शख़्स वहाँ गिन रहा था लहरों को
गुज़रते लम्हों का कोई हिसाब था कि नहीं
सराब तिश्ना-लबी धूप आबला-पाई
ख़याल पिछले सफ़र का अज़ाब था कि नहीं
हर एक सम्त उदासी का रंग था 'शाहिद'
वो जल्वा-साज़ कभी बे-हिजाब था कि नहीं
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