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आस - शाहिद अख़्तर कविता - Darsaal

आस

शब के आवारा-गर्द शहज़ादे

जा छुपे अपनी ख़्वाब-गाहों में

पड़ गए हैं गुलाबी डोरे से

रात की शबनमी निगाहों में

सीम तन अप्सराओं के झुरमुट

महव-ए-परवाज़ हैं फ़ज़ाओं में

रात-रानी की दिल-नशीं ख़ुश्बू

घुल गई मंचली हवाओं में

झील की बे-क़रार जल-परियाँ

आ के साहिल को चूम जाती हैं

दम-ब-दम मेरी डूबती नज़रें

तेरी राहों पे घूम जाती हैं

मुंतज़िर है उदास पगडंडी

एक संगीत रेज़ आहट की

राह तकती हैं अध-खुली कलियाँ

तेरी मासूम मुस्कुराहट की

जाने कितने ही रत-जगे बीते

आरज़ूओं की नर्म जानों पर

सो गए थक के दर्द के मारे

आस की खुरदुरी चटानों पर

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In Hindi By Famous Poet Shahid Akhtar. is written by Shahid Akhtar. Complete Poem in Hindi by Shahid Akhtar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.