किसी की ज़ुल्फ़-ए-शिकन-दर-शिकन की बात हुई
किसी की ज़ुल्फ़-ए-शिकन-दर-शिकन की बात हुई
हमारे वास्ते दार-ओ-रसन की बात हुई
कभी धनक पे कभी चाँदनी पे हाथ पड़ा
जो तेरे जिस्म की तेरे बदन की बात हुई
इक आह दिल से उठी और लबों पे टूट गई
कभी कहीं जो तिरी अंजुमन की बात हुई
ज़हे-नसीब कि तेरा भी नाम आया है
जहाँ जहाँ मिरे दीवाना-पन की बात हुई
हज़ार रंग निगाहों में घुल गए 'शाहिद'
अगर कहीं किसी गुल-पैरहन की बात हुई
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